जुआरी



एक जुआरी ने ज़ेन मास्टर के पास आकर कहा, “मैं कल रात सराय में पत्तों की बेईमानी करते पकड़ा गया और मेरे साथियों ने मुझे पहली मंजिल के कमरे की खिड़की से नीचे सड़क पर धकेल दिया. किस्मत से मुझे कुछ ख़ास चोट नहीं लगी. अब मुझे क्या करना चाहिए?”
मास्टर ने जुआरी की आँखों में आँखें डालकर कहा, “आज से ऊपरी मंजिलों पर जुआ खेलना बंद कर दो”.
जुआरी ख़ुशी-ख़ुशी वापस लौट गया.
यह सब देख-सुन रहे एक शिष्य ने अचरज से मास्टर से पूछा, “आपने उसे सीधे-सीधे जुआ खेलना बंद करने के लिए क्यों नहीं कहा?”
“क्योंकि मैं जानता हूँ कि वह जुआ खेलना कभी भी बंद नहीं करेगा”, मास्टर ने मुस्कुराते हुए कहा.

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